खाटू श्याम बारे में

जय श्री श्याम

हारे के सहारे की  जय

आज हम आपको भारत में स्तिथ राजस्थान के सीकर जिले के एक छोटे से कस्बे खाटू के बारे में बताने जा रहे है l खाटू कस्बा श्री खाटू श्याम जी के नाम से अत्यधिक  प्रसिद्ध हैl यंहा पर खाटू श्याम बाबा जी का अत्यंत सुन्दर मंदिर बना हुआ है l बाब श्याम जी का हारे हुए का सहारा माना जाता है बाबा श्याम जी को हारे हुए का सहारा मन जाता है और ये वरदान उनको भगवान श्री कृष्ण जी से मिला है ,प्राचीन काल  से ही यंहा पर दूर दूर से श्रद्धालु आते है और बाबा श्याम जी कल श्री चरणों में अपनी अर्जी माध्यम से अपनी सारी मुसीबत बाबा श्याम के श्री चरणों में लगाते है, और ऐसा विशबास माना जाता है , की बाबा श्याम सब भगतों की अर्जी सुनते है और उनकी मुसीबतों को दूर करते है , जो भगत भी दुनिए से हारा/मारा हुआ है उनकी सबका दुख यंहा पर हे दूर होता है l बाबा श्याम जी सबकी झोलियां भरते है l यंही एक कारण है की बाबा श्याम का दरबार में भक्तो की भीड़ लगी रहेती है  l बोलो जय श्री श्याम l     

आज हम खाटू श्याम जी मंदिर के इतिहास और जानकारी के बारे में पड़ेंगे l

श्री श्याम मंदिर की स्थापना शिलालेख के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ला 3 संवत 1777 के दिन रखी गई, फाल्गुन शुक्ला 7 संवत 1777 को श्री श्याम जी को मंदिर में बिराजमान किया गया | खाटू श्याम जी मंदिर का निर्माण 1027 ईस्वी में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी निरामला कंवर ने करवाया था। आपको मालूम है की खाटू श्याम जी मंदिर से जुड़े कई मिथक और किंवदंतियां हैं। और भक्तो के विश्वास और मान्यता के मुताबिक है यहाँ आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। खाटू श्याम जी का मंदिर भारत देश में कृष्ण भगवान के मंदिरों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। खाटू श्याम जी को कलयुग का सबसे मशहूर भगवान माना जाता है।

बर्बरीक की कहानी

हिंदू धर्म के अनुसार  खाटू शम जी को कलयुग में श्री कृष्ण जी का अवतार माना गया है। खाटूश्याम जी के बारे में पूरी कहानी महाभारत से मिलती है। माना जाता है की खाटू श्याम जी का नाम खाटू जी पड़ने से फेले बर्बरीक नाम से जाना जाता है

महान बर्बरिक महाभारत के प्रमुख चरित्र भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र थे। बर्बरीक जी को महान योद्धा के रूप में जाना जाता था l और बर्बरिका जी को बरदान में तीन शक्तिशाली तीर मिले थे जो किसी भी युद्ध में विजय करा सकते में थे।

तीनों तीरों में विशेष शक्तियाँ थीं:
१. पहला तीर उन सभी चीजों को चिह्नित करता था जो बर्बरिका को नष्ट करना चाहता था l
२. दूसरा वह सभी चीजें चिह्नित करता था जिन्हें उसने बचाना चाहा था l
३. तीसरा तीर सिर्फ उन लक्ष्यों को नष्ट कर देता था जिन्हें चिह्नित किया गया था।

जब बर्बरीक ने अपने दादाओं को कौरव राजकुमारों के खिलाफ युद्ध में चले गए होने का ज्ञान पाया, तो उन्होंने घर से निकलकर संघर्ष को देखने का निश्चय किया। जब बह घर से बहार निकल रहे थे तो उनकी माँ ने उनसे कहा आप हमेशा जो युद्ध छेत्र में जो पक्ष के पक्षधर लोगे जो हार रहा होगा । तब बर्बरिक जी ने अपनी माँ को विश्वास दिलाया कि वह केवल उस पक्ष के पक्षधर ही होंगे जो हार रहा होगा। इस बीच युद्ध में, कृष्ण, भेष बदलकर, सभी योद्धाओं की जांच कर रहे थे ताकि उन्हें यह जानने में मदद मिले कि अगर उन्हें युद्ध को समाप्त करना होता तो उन्हें कितने समय की आवश्यकता होगी। उन्हें अशिंका थी की भीष्म को 20 दिन, कर्ण 24 दिन, द्रोणाचार्य 25 दिन और अर्जुन को 28 दिन के समय की आवश्यकता हो सकती है ।

जैसे ही कृष्ण भगवान जी बर्बरिका से मिले और उनसे भी यही प्रश्न पूछा। बर्बरिका ने दावा किया कि वह केवल एक मिनट में युद्ध को समाप्त कर सकता है। उनका कारण यह था कि उनके तीर शीघ्रता से लक्ष्यों को पहचानकर मार डाल सकते थे, अपने साथियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए और अपने शत्रुओं को जल्दी ही पराजित करते हुए। कृष्ण ने पूछा कि बर्बरिका किस पक्ष का समर्थन करने का इरादा रखते हैं। बर्बरिका ने अपनी माँ के लिए वादा किया था, इसलिए उन्होंने सोचा कि वह पांडवों का समर्थन करेंगे, जिनके पास कौरवों की तुलना में छोटी सेना थी।

भगवान श्री कृष्ण जी बर्बरिका के बारे में सब जानते हुए उन्होंने उनकी परीक्षा लेने का फेसला लिया और उन्होंने पास हे खड़े ब्रक्ष की ओर इशारा करते हुआ कहा की बर्बरिका तुम इस ब्रक्ष की सभी पत्तियों को एक बाण से भेद कर बताये l तब में मानुगा की तुम इस युद्ध को केबल एक मिनट ख़तम कर सकते हो l तब बर्बरिका जी ने कहा ठीक है जैसी आपकी इच्क्षा l लेकिन उससे पहेले ही भगवान श्री कृष्ण जी एक पत्ता अपने पैरों के नीचे छिपा लिया l जैसे ही बर्बरिका जी ने अपना बाण चालाया १ मिनिट में हे ही उनके बाण ने सारे पत्तो में छेद दिया और उसके बाद बह बाण भगवान श्री कृष्ण के पास आकर रुक गया l तब बर्बरिका जी ने प्रभु श्री कृष्ण जी से कहा की अब आपने पैर के नीचे जो पत्ता दबा रखा है , उसे आप बाहर निकाल दीजिये l अन्यथा मेरा बाण आपके पैर में लग जायगा उसके बाद यहे बाण बचे हुए पत्ते को छेदेगा l ये देखकर भगवान श्री कृष्ण आपने असली रूप में आ जाते है l और बोलते है, बर्बरिका तुम्हारी शक्तिया के बारे में अब मुझे ज्ञात हो गया हैं l बर्बरिका जी कहा प्रभु आप मेरी परीक्षा ले रहे थे l

तब भगवान श्री जी बर्बरीक जी से कहा में आपसे कुछ मांगना चहाता हू l क्या आप मुझे आप देगे l तब बर्बरीक जी कहा मांगिये प्रभु , श्री कृष्ण जी ने उनसे उनका शीश दान में मांग l और बर्बरीक जी तुरंत अपना शीश काट कर प्रभु श्री कृष्ण के चरणों में रख दिया l शीश दान में देने के बाद श्री कृष्ण जी उनका शीश एक पर्बत पर रख दिया और कहा की आप यंहा से पूरा युद्ध देखिये l अंत में जब युद्ध समाप्त हुआ तो यंहा जनना था की युद्ध कोन जीता l तब कृष्ण जी बर्बरीक जी के पास गये और उनसे पूछा की आप ने तो सारा युद्ध देखा आप ही बताये की युद्ध में किया हुआ l बर्बरीक जी कहा प्रभु मुझे सिर्फ आपका सुधार्शन नज़र अ रहा था l तब बर्बरिका जी श्री कृष्ण जी से पूछा प्रभु अब म क्या करू l तब श्री कृष्ण जी ने बर्बरिका जी को अमर होने का वरदान दिया और कहा आज से तुम मेरे नाम श्याम से जाने जाओगे l और कलयुग में जो भी तेरे चरणों में हार कर आयगा आप उसका सहारा बनोगे l आपको सब खाटू श्याम से पुकारेंगे l